अबकी बार सुलह करले मुझसे ए दिल वादा करता हूँ की
फिर नहीं दूँगा तुझे किसी ज़ालिम के हाथों में !
मुझे भी शामिल करो गुनहगारों की महफ़िल में ,
मैं भी क़ातिल हूँ अपनी हसरतों का,
मैंने भी अपनी ख्वाहिशों को मारा है।
काजल तो खराब होना ही था तेरी आंखों का..!
मोहब्बत ही तूने किसी बेवफा से की थी ! :(
आग लगाना, मेरी फितरत में नही है,
मेरी सादगी से लोग जलें तो, मेरा क्या कसूर !
काश के कोई मेरा अपना सम्भाल ले मुझको,
बहुत थोड़ा रह गया हूँ मैं भी इस साल की तरह..!
मेरे बारे में अपनी सोच को थोड़ा बदलकर देख,
मुझसे भी बुरे हैं लोग तू घर से निकलकर देख..!
वो आज मशहूर हो गए
जो कभी काबिल न थे...
और मंजिले उनको मिली
जो दौड़ में कभी शामिल न थे !
क्या लिखूँ दिल की हकीकत आरज़ू बेहोश है !
ख़त पर हैं आँसू गिरे और कलम खामोश है !
कुछ पल खामोशी में
खुद से रूबरू हो लो यारों,
जिंदगी के शोर में खुद को
सुना नहीं होगा तुमने !
हर रोज़ खा जाते थे वो कसम मेरे नाम की,
आज पता चला की जिंदगी धीरे धीरे ख़त्म क्यूँ हो रही है :(
तेरी महफ़िल से उठे तो किसी को खबर तक ना थी,
तेरा मुड़-मुड़कर देखना हमें बदनाम कर गया.....:(
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