खुल जाता है तेरी यादों का बाजार सुबह सुबह और हम उसी रौनक में पूरा दिन गुजार देते है..!
तुम्हारा साथ तसल्ली से चाहिए मुझे.. जन्मों की थकान लम्हों में कहाँ उतरती है
आखिर लग ही गई ना तुम्हे ठण्ड... कितना समझाया था कि ओढ़ लो तमन्ना मेरी...💕
ख़ामोशी बहुत कुछ कहती हे कान लगाकर नहीं, दिल लगाकर सुनो !!
बस तुम मुस्करा दो तबियत खुश हो जाती है
सारे शहर में ढूंढ लिया तुम सा हकीम नही मिला <
सारे शहर में ढूंढ लिया तुम सा हकीम नही मिला <
हम अल्फ़ाज़ों को ढूंढते रह गए..:/
और वो आँखों से गज़ल कह गए ...
और वो आँखों से गज़ल कह गए ...
परछाई बन गयी हो तुम मेरी, कितनी धूप सहता हूँ तुम्हें पाने को..:)